Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Tags: संपादक की पसंद
Related Articles
क्या लिखूँ ?
दिन–रात लिखूँ हर बात लिखूँ दिल के राज़ लिखूँ मन के साज़ लिखूँ। अपने वो दिन बेनाम लिखूँ लेकिन नहीं हुआ बदनाम लिखूँ कितना…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
क्या लिखूँ…!!
आज सोंचती हूँ क्या लिखूं दर्द लिखूं या मोहब्बत का उन्माद लिखूं चैन लिखूं या बेचैनी लिखूं तेरे इश्क में फना होने का अफसाना लिखूं…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
माँ तेरे प्यार को कैसे लिखूँ
माँ तेरे प्यार को कैसे लिखूँ, प्यारे से दुलार को कैसे लिखूँ, सुबह का जगाना और रात लोरी सुनना पल पल पूछे खाना खाले जो…
वाह बहुत सुंदर
Thanks
बहुत अच्छे शब्द
धन्यवाद
Nice
Thanks
Nyc
धन्यवाद
बहुत सुंदर पंक्तियां