कविता- प्रेम रस – दिल मे रहता हूँ |

कविता- प्रेम रस – दिल मे रहता हूँ |
दुनिया के दुखो से तुम्हें कही दूर लिए चलता हूँ |
आओ प्रिये हर नजर के असर दूर किए चलता हूँ |
चाँदनी रात है खुला आसमान ठंडी हवा बह रही |
सितारो की महफिल मिल जाओ फिजाँ कह रही |
हर तरफ शांती सकुन खुशबू रात रानी महकी है |
बना लो सेज नर्म हरी घास जुलफ़े तेरी बहकी है |
उतर आया चाँद गोद मेरी दावे से मै कहता हूँ |
भूल जाओ गम सारे आओ आज दूरिया मिटा दो |
समा लो मुझे जुल्फों के साये गोद सिर लिटा दो |
डूब जाऊँ तेरी गहरी झील सी आंखो की गहराई |
नजरो से उतर तूने दिल मे मेरी जगह है बनाई |
हसीन वादियो तेरी गजल को दिल से पढ़ता हूँ |
तेरे बदन की खुशबू को और भी महक जाने दो |
सोये हमारे अरमानो को और भी बहक जाने दो |
पूनम की चाँद हो तुम लरजते लबो फरियाद हो |
हुश्न ए मल्लिका तुम आज हर बंधनो आजाद हो |
नहीं कोई दोनों के बीच मै तेरे दिल मे रहता हूँ |
एहसास तेरी गर्म साँसो का हो रहा है मुझे बहुत |
मदहोसी का आलम अब छा रहा है तुझमे बहुत |
पाक मोहब्बत हमारी जज़बातो को संभाले रखना |
हो जाये गुनाह कोई दोनों खुद को संभाले रहना |
मोहब्बत और मोहब्बत सिर्फ मै तुमसे करता हूँ |
श्याम कुँवर भारती (राजभर)
कवि /लेखक /गीतकार /समाजसेवी
बोकारो झारखंड मोब -9955509286

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Responses

  1. दुनिया के दुखो से तुम्हें कही दूर लिए चलता हूँ |
    आओ प्रिये हर नजर के असर दूर किए चलता हूँ |
    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ, बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

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