कानून के कुछ रखवाले

कानून के कुछ रखवाले

खूब ख्याल रखते हैं

कानून का

खूब रक्षा करते हैं

कानून की

खास नज़र रखते हैं

इस बात की

कि कहीं ये कानून

“न्याय” का साथ तो नहीं दे रहा

इस तरह का कोई

घोर “अन्याय” तो नहीं हो रहा

 

 दरअसल “न्याय” के मायने

उनके लिये

कुछ अलग ही होते हैं

एक अलग ही

“न्याय की किताब”

वें अपने तकिये तले

रखकर सोतें हैं

 

ये रखवाले

इतने मेहनती होते हैं

कि सिपाही बनने खातिर

कुछ भी करने को

तैयार रहते हैं

यहां तक कि

“रिश्वत देने को भी”

इनके हिसाब से

खुद का उद्धार करना ही

“न्याय” है

जिसके लिए ये

तैयार रहते हैं

“रिश्वत लेने को भी”

 

अपने परिवार के प्रति

इतने जिम्मेदार होते हैं

कि उनके पालन-पोषण के लिए

गरीबों को भी

तबाह करने को तैयार रहते हैं

क्योंकि उसके बदले इनको

अमीरों से

मोटे पैसे जो मिल रहे होते हैं

 

 “असल न्याय” के खातिर

न कोई अपील

न दलील

और वकील तो इनमें से

कुछ खुद ही होते हैं

                                                            कुमार बन्टी

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