काश !देश का शासन कलम चलती
काश !
देश का शासन कलम चलती,
निर्दोष को न्याय दिलाती,
और दोषी पर कहर बरसाती,
काश !देश का शासन कलम चलाती |
अन्याय का नाम ना होता,
भ्रष्टाचार का काम ना होता,
दुष्ट नेताओं को होती शब्दों की फांसी,
न्याय का फंदा ऐसा कस्ता,
ना जान जाये और ना गले से उठ पाए खांसी,
काश ! देश का शासन कलम चलती |
वो राजकवि ऐसा होता,
मुजरिमों पर भावनाओ के जाल फेंकता,
तिल-तिल कर जीते अपराधी,
आंसू आँख से रुक ना पता,
फिर तो गरीब जनता रहती राजी,
कहती, वाह ! क्या चाल चली कविराज जी,
काश ! देश का शासन कलम चलती |
देश फिर से अहिंसावादी होता,
“अहिंसा परमो धर्म ” कवि का नारा होता,
देश फिर से सोने की चिड़िया कहलाता,
सब को मिलती असली आजादी,
बिना लड़े ही न्याय दिलाती,
काश !
देश का शासन कलम चलती |
………राम नरेश……..
वाह क्या सोच है
धन्यवाद
Bahut khub
धन्यवाद
Nice
धन्यवाद
वाह बहुत सुंदर
सुंदर अभिव्यक्ति
वाह
Good