Categories: मुक्तक
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मुक्तक
फूल लताओं को समेट कर रखता मेरा गांव नल कूप को सहेज कर रखता मेरा गांव रिस्ते को मदमस्त खुशहाल रखता मेरा गांव मिट्टी की…
करो परिश्रम ——
करो परिश्रम कठिनाई से, जब तक पास तुम्हारे तन है । लहरों से तुम हार मत मानो, ये बात सीखो त जब मँक्षियारा नाव चलाता,…
मिट्टी है सब तरफ जी
देखो जरा सा बाहर मिट्टी है सब तरफ जी, मिट्टी में हैं जन्मते मिट्टी में खेलते हैं, मिट्टी में जड़ हमारी मिट्टी है सब तरफ…
गाँव में
गाँव में खेत हरे और है खलिहान गाँव में कूप, नल और है मैदान गाँव में बाग बन और है किसान गाँव में है भारत…
एक सावन ऐसा भी (कहानी)
किसी ने कहा है कि प्रेम की कोई जात नहीं होती, कोई मजहब नहीं होता ।मगर हर किसी की समझ में कहां आती है…
वाह बहुत सुंदर
बहुत बहुत धन्यवाद
Gao,🐂🐮👌👌
बहुत बहुत धन्यवाद्
Nice
बहुत बहुत धन्यवाद जी
Nice