किसे कदर देखेगा
कुछ ऐसा कर जाएंगे, सारा शहर देखेगा।
मेरे शहर का, अब हर एक बशर देखेगा।
मेरे सितारे भी चमकेंगे एक दिन यकीनन,
गुज़रूं जहां से, हर शख्स एक नज़र देखेगा।
कुछ कर गुजरने की ख्वाहिश है गर तुझमें,
तो फिर क्या शब और क्या सहर देखेगा।
चलना है ज़िंदगी, मुश्किलें हजार फिर भी,
तेरा ज़ुनून अब यह लंबा सफर देखेगा।
जिन्हें शक था ‘देव’ काबिलियत पर कभी,
आज वह भी हैरत से किस कदर देखेगा।
देवेश साखरे ‘देव’
क्या खूब लिखा है
धन्यवाद
I like your all poems
सहृदय आभार आपका
Very nice
thank you so much
वाह
Thanks
👏👏
Thanks
Thanks
Nice
Thanks
Awesome
वाह जी वाह