क्यू मौनहो तुम?
क्यू कोलाहल से भरा हृदय!
सरगम सांसों की धीमी कयू?
आंखें पथरायी सी दिखती हैं,
पहले सा ना उनमें पानी क्यू?
चेहरे पर ना वह आभा है!
तेजस्वी था निस्तेज है क्यू?
क्यू हंसी नहीं है होठों पर!
गुलाब थे जो वह सूखे क्यू?
सावन बीता पतझड़ आया,
बहारों से नाता तोड़ा क्यू?
क्यू जीना तुमने छोड़ दिया,
बुत बनकर रहना सीखा क्यू?
तुम तो चंचल सी नदियां थी,
नदिया ने बहना छोड़ा क्यू?
जिंदा होकर क्यू मुर्दा थी!
इस दिल ने धड़कना छोड़ा क्यू?
आ जाओ जीना सिखला दे,
फिर हंसी तुम्हारी ला कर दे।
फिर ना कहना आवाज न दी!
डूबती नैया को संभाला नहीं।
फिर ना कहना तुम आए तो थे
जब आए ही थे तो पुकारा ना क्यू?
निमिषा सिंघल
Nice
Thank you
Sundar
धन्यवाद
Good
🌺🌺🙏🙏
Good
🌹🌹🌹🌹
वाह