हो तुम कहाँ
बारिश कि बूंदे
दिल का ऐ आलम
हो तुम कहाँ..हो तुम कहाँ
फूलों की डाली,भवरों का मंडर
महकती ये वादी,सावन की ये हरियाली
हो तुम कहाँ..हो तुम कहाँ
खींचा चला जा रहा हूँ तेरी खुशबू पर
तुम हो जाने कहाँ किस मोड़ पर
लिपट के तेरी जूल्फों से आज मैं खेलूँगा
भीगी पलकों से काजल चूराऊंगा
हो तुम कहाँ..हो तुम कहाँ
मुश्किलें हैं इस कदर क्या मैं बयां करू
दिल मेरा तरसे तुम्हें देखने को आंहे भरू
निगांहे तरकश गई है तुम्हें देखने को
अब आ भी जाओ वफा की है तुम से
हो तुम कहाँ..हो तुम कहाँ
वाह बहुत सुंदर
धन्यवाद
Nice
धन्यवाद
Sunder
धन्यवाद
Nice
धन्यवाद
Good
धन्यवाद
Good
धन्यवाद