Categories: शेर-ओ-शायरी
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
कितना कहर ढाया होगा
आज आंखों ने कितना कहर ढाया होगा देखकर, फौजी बेटे का धड़ माँ का दिल भर आया होगा पिलाने को अंतिम स्नेह अमृत बुझाने को…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
“कामयाबी की ईमारत”
आज भी वो दिन याद आते है उसे भुलाऊ कैसे ये कामयाबी की ईमारत छोड जाऊ कैसे… बचपन में कलम थमाई थी आपने, आज वो…
ऐसा क्यों है
चारो दिशाओं में छाया इतना कुहा सा क्यों है यहाँ जर्रे जर्रे में बिखरा इतना धुआँ सा क्यों है शहर के चप्पे चप्पे पर तैनात…
बहुत खूब
🙏🙏🙏🙏
वाह
Thankyou
Nice
Thankyou
👌
Thanks
👏👏👏
Waah👍
Thankyou 🙏
वाह! वाह! बहुत उम्दा
waah