*खेतों की हरियाली*
देख के खेतों की हरियाली,
नव-प्रभात ऊषा की लाली
मन विभोर हो उठा है मेरा,
मन मचले मत जा यहां से
कितना सुन्दर गांव है मेरा
पीली-पीली ओढ़ ओढ़नी,
सरसों खड़ी मुस्काए
मीठे गन्ने की पत्ती लहराकर,
अपनी ओर बुलाए
शुद्ध पवन है, ना कोई शोर
कोयल कूके मेरे खेत में,
नृत्य कर रहे हैं मोर
तस्वीर बसा ली आंखों में,
मैंने मेरे गांव की
खेतों की हरियाली की
और उस नीम की छांव की
*****✍️गीता
सुंदर शिल्प एवं भाव के साथ गीता जी ने
गाँव और प्रकृति का
मनोहर चित्र प्रस्तुत
किया है जो सराहनीय है
इस सुन्दर और प्रेरक समीक्षा हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद प्रज्ञा जी
वाह, गांव की सुंदरता का बेहतरीन चित्रण
सुन्दर समीक्षा हेतु हार्दिक धन्यवाद सतीश जी
Very good
Thanks Rishi ji
अतिसुंदर भाव
बहुत बहुत धन्यवाद भाई जी 🙏