गजल- सोचा न था |

गजल- सोचा न था |
ठुकरा देगा मुझे इस तरह कभी सोचा न था |
दगा देगा मुझे इस तरह कभी सोचा न था |
खुद से भी जियादा एतवार था मुझे उसपर |
दफा कह देगा इस तरह कभी सोचा न था |
हुश्न वाले पत्थर दिल होते कहते है लोग |
दिल तोड़ देगा इस तरह कभी सोचा न था |
दुनिया दिल बसाएँगे साथ थी तमन्ना मेरी |
घर जला देगा इस तरह कभी सोचा न था |
निगाहों मे प्यार होठो मुस्कान एक धोखा था |
रुला देगा मुझे इस तरह कभी सोचा न था |
मेरी शुबह शाम उसके नाम क्या मंजर था |
खंजर चला देगा इस तरह कभी सोचा न था |
जान ओ जिगर मांग लेता मै हंस के दे देता |
मजधार डूबा देगा इस तरह कभी सोचा न था |
गुले गुलजार जाने बहार बस वही तो था मेरा |
गैर हाथ मिला लेगा इस तरह कभी सोचा न था |
उसके हुश्न ओ अदा सदा नाज करता था मै |
गैर बना देगा मुझे इस तरह कभी सोचा न था |
श्याम कुँवर भारती (राजभर)
कवि /लेखक /गीतकार /समाजसेवी
बोकारो झारखंड मोब -9955509286

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

अपहरण

” अपहरण “हाथों में तख्ती, गाड़ी पर लाउडस्पीकर, हट्टे -कट्टे, मोटे -पतले, नर- नारी, नौजवानों- बूढ़े लोगों  की भीड़, कुछ पैदल और कुछ दो पहिया वाहन…

Responses

  1. गजल़ की बहर मुझे समझ नहीं आ रही परंतु भाव बहुत सुंदर हैं
    किसी के द्वारा धोखा खाने एवं ठुकराये जाने का दर्द कविता को भावुक बना रहा है

+

New Report

Close