गम मिटाना तुम
रखना लगाव खोलकर के द्वार दिल के तुम।
जितना वो दे उससे भी अधिक प्यार देना तुम।
कभी किसी दुखी का दर्द मत बढ़ाना तुम,
जरा सा नेह देना और गम मिटाना तुम।
चूमो शिखर मगर नजर जमीन पर रहे,
जिस भूमि पर खड़े हो उसे मत भुलाना तुम।
कोई पसंद गर न हो तो छोड़ दो उसे,
जबरन पसंद थोप कर के मत रुलाना तुम।
वाह सर, बेहतरीन गजल
Nice line
वाह पाण्डेय जी बहुत खूब
अतिसुंदर भाव
अति सुंदर भाव और अति सुन्दर प्रस्तुति.”कभी किसी दुखी का दर्द मत बढ़ाना तुम,जरा सा नेह देना और गम मिटाना तुम।”….. बहुत ही खूबसूरत लयबद्ध ग़ज़ल.