गीत
रिमझिम बरसे सावन सजना।
झूले लगे हैं मोरे अंगना।।
सब सखियों के आए सजना।
क्यों है सूना मेरा अंगना।।
आजा अंगना के भाग जगा दे।
बमल मोहे झूला झूला दे़……बलम मोहे झूला झूलादे।।
लहगा चुनरी ले के आऊँ।
हरी चुड़ियाँ साथ में लाऊँ।।
हाथों में मेंहदी लगा के रखना।
सनम आऊँगा मैं तेरे अंगना।।
सारे लाज शरम तू भगा दे…. सनम मोहे झूला झूला दे।।
Sundar Rachna
अति सुंदर..
रिमझिम बरसते सावन में मिलन की उत्कंठा की संवेदना प्रस्फुटित हुई है, श्रृंगार रस की प्रधानता है. वाह
सावन की सबसे सुंदर कविता इससे ज्यादा मेरे पास शब्द नहीं है प्रशंसा के लिए