Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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झूठ का पाश
खुद को,झूठ के एक लौह जाल में घेर लिया तुमने झूठ का ये लिहाफ़,क्यों ओढ़ लिया तुमने, ये भी झूठ और वो भी झूठ, हर…
आओ कुछ बेहतर करते हैं..
‘आओ कुछ बेहतर करते हैं.. कुछ बाहर जग की परिधि में, कुछ अपने भीतर करते हैं.. आओ कुछ बेहतर करते हैं.. आओ कुछ बेहतर करते…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
ओडिशा यात्रा -सुखमंगल सिंह
यात्रायें सतयुग के सामान होती हैं और चलना जीवन है अतएव देशाटन के निमित्त यात्रा महत्वपूर्ण है | मानव को संसार बंधन से छुटकारा पाने…
गुम गया इंसान
जिंदगी की होड़ में कहीं, गुम गया इंसान, कभी जमीं को खोदता, तो पाताल की सोचता, फिर आसमाँ को रौंदता, चाँद-तारे नक्षत्रों में खुद को…
very nice
Thank you
Nice lines
Thank you so much
Very nice lines
Thank you sir
Beautiful
Thank you so much
सुन्दर अभिव्यक्ति
हार्दिक धन्यवाद सर
Atisunder kavita
धन्यवाद सर
बहुत उम्दा
धन्यवाद
Beautifully written and well crafted. Very good.