चीन की कठपुतली बनकर
चीन की कठपुतली बनकर
कब तक ऐसा व्यवहार करोगे,
लड़ना है तो खुलकर आओ
कब तक छिपकर वार करोगे।
पाकिस्तान, नेपाल आदि तुम
अभी समय है संभल भी जाओ,
दूजे की बंदूक उठाकर
कब तक यूँ प्रहार करोगे।
लालच देकर भुला रहा है
ये लो रोटी, लो बारूद
कब तक ड्रैगन के लालच में
खुद को तुम बर्बाद करोगे।
बहुत कर चुके हो सिरदर्दी
आतंकी साजिश घटिया सी,
अब भारत को व्यथित मत करो
वरना खुद को बर्बाद करोगे।
बहुत ही बढ़िया अतिसुन्दर
बहुत बहुत धन्यवाद
वाह वाह, अतिसुन्दर
सादर आभार
बहुत ही सुंदर, उम्दा
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत सुन्दर..
बहुत आभार
शानदार लाजवाब 👌👌
बहुत बहुत धन्यवाद
अतिसुंदर
सादर धन्यवाद जी
देश प्रेम से परिपूर्ण अति सुंदर रचना। अति सुंदर प्रस्तुति
इस सुन्दर टिप्पणी हेतु बहुत बहुत धन्यवाद गीता जी।
बहुत खूब वाह वाह
बहुत बहुत धन्यवाद
देश भक्ति की कविता बेमिसाल है
बहुत बहुत धन्यवाद जी
Nice, very nice poem
Thank you