छम छम नाचे मयूरा

सुंदर सपनों के आंगन में
बैठा है चितचोर
मन का मयूर नाचता
प्रेम की चुनर ओढ़
प्रेम की चुनर उड़ के
छम छम नाचे मयूरा
अंग-अंग भीगे ऐसे
सावन में मोरा।

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Responses

  1. बहुत सुंदर शैली में व्यक्त आपकी रचना मन को भा गयी। सावन की यादें ताजा हो गई।

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