मरहम

यादों की मरहम भी क्या मरहम है।
बेरहम भी मरहम पर जीने लगे है।।
काश.. यह मरहम मर्ज़ नहीं होते।
हम और आप आज कैसे जी पाते।।

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कैसे होते हैं……!

कैसे होते हैं……! ——————————— कोई पहचान वाले अनजान कैसे होते हैं जानबूझ कर कोई नादान कैसे होते हैं बदलता है मौसम वक़्त और’लम्हें सुना हेै–…

Responses

    1. धन्यवाद पंडित जी। आपकी समीक्षा ही मेरे लिए अनमोल तोहफ़ा है

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