जब लोग करे तुम्हारी निन्दा

जब लोग करे तुम्हारी निन्दा,सुनके क्रोध को तुम करो संयम ।
यह है तेरे अन्दर उच्च विचार, इसी से होगा तेरा कल्याण ।

जो तेरे दोष-अवगुण को बताता, ऐसे नर से मत खफा होना यार ।
ऐसे नर को रखना अपने पास, जो मुक्त करते हैं तेरे इलाज ।
ऐसा कहते हैं कबीरदास, इसीलिए तुम करो ऐसे लोगों से प्यार ।

स्तुति-निन्दा के पीछे मत भागो तुम, अपने काम को निरन्तर करो तुम ।
दरिद्रता से मत घबराओ तुम, एक दिन अवश्य चमकेंगे तेरे प्रारब्ध के सूर्य ।
ऐसा कहते हैं विवेकानन्द, सुनो साधो-सन्त ।

मान-अपमान के चक्रव्यूह में मत फँस तुम, अकेले नहीं चल सकते तो संतों के संग चलो तुम ।
अपना आखिरी लक्ष्य को पहचानो तुम, मातृभूमि पर सर्वस्व लूटा तुम ।
कवि विकास कुमार बिहारी ।।

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Responses

  1. निंदा सुनने से ही इंसान को अपनी कमियों का ज्ञान होता है।सुंदर प्रस्तुति

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