जय हिन्द
जाते समय वे
कह गए थे,
उदास न होना प्रिये।
यह नौकरी है फ़ौज की
जाना पडेगा अब मुझे।
सीमा में कुछ गड़बड़ है,
उसको ठीक करना है हमें,
हिन्द के दुश्मन मिटाकर
चैन लेना है हमें।
चढ़ यदि शीश मेरा
जंग में, माँ भारती को,
तू दुखित होना नहीं
जय हिन्द कह देना प्रिये।
आज जब लिपटे तिरंगे में
पधारे शान से ,
जोर से जय हिन्द निकला
मेरी इस जुबान से।
————- Dr Satish Pandey
टाइपिंग सुधार कर —
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जाते समय वे
कह गए थे,
उदास न होना प्रिये।
यह नौकरी है फ़ौज की
जाना पडेगा अब मुझे।
सीमा में कुछ गड़बड़ है,
उसको ठीक करना है हमें,
हिन्द के दुश्मन मिटाकर
चैन लेना है हमें।
चढ़ गया यदि शीश मेरा
जंग में, माँ भारती को,
तू दुखित होना नहीं
जय हिन्द कह देना प्रिये।
आज जब लिपटे तिरंगे में
पधारे शान से ,
जोर से जय हिन्द निकला
मेरी इस जुबान से।
————- Dr Satish Pandey
कर्तव्यपरायण पति की शहादत से आहत नारी के हृदय से निकली जय हिंद की सदा उसके अदम्य साहस शक्ति और भारतीय सती शिरोमणि का झलक अपनी रचना में दर्शाया।
बहुत सुन्दर भाव।
सादर धन्यवाद शास्त्री जी
शहीदों की शहादत को नमन , जय हिन्द!
सादर धन्यवाद जी
वीर शहीदों की मनःस्थति दर्शाती हुई देश प्रेम से रंगी हुई बहुत सुंदर कविता।….. जय हिन्द 🇮🇳
आपका हार्दिक आभार
शहीद की मनोदशा को प्रकट करती हुई रचना
Thanks