जरिया नहीं दर्द मिटाने का
जब कोई जरिया मिलता नहीं
ग़म छिपाने का।
हमराज दिखता नहीं
दर्द मिटाने का।
बेचैनी हद से ज्यादा आसरा नहीं
तकल्लुफ मिटाने का।
बरबस मन की पीर अश्क बन छलक आती,
है सौख नहीं आंसू दिखा,सहानुभूति पाने का।
जब कोई जरिया मिलता नहीं
ग़म छिपाने का।
हमराज दिखता नहीं
दर्द मिटाने का।
बेचैनी हद से ज्यादा आसरा नहीं
तकल्लुफ मिटाने का।
बरबस मन की पीर अश्क बन छलक आती,
है सौख नहीं आंसू दिखा,सहानुभूति पाने का।
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कवि सुमन जी की कविता में मन के भावों का बहुत ही सुन्दर और सहज तरीके से चित्रण किया है। भाव पर कवि की बहुत सुन्दर पकड़ है। वाह
सादर धन्यवाद सर
Very nice poem
A lot of thanks
Sadar avar
Bahut khoob
अतिसुंदर रचना
बहुत बहुत धन्यवाद सर
बहुत ही सुन्दर भाव में अपनी कविता को आपने अंजाम दिया है।
सादर आभार सर
सुन्दर अभिव्यक्ति
सादर आभार
सुन्दर रचना