जीवनदायनी वसुंधरा
तू ममतामयी तू जगजननी रहे आँचल तेरा हरा-भरा l
तू पालक है प्राणी मात्र की, हे जीवनदायनी वसुंधरा l
यह रज जो तेरे दामन की, लगती है शीतल चंदन सी,
तू उपासना की पाक ज्योति, तू पावन आरती-वंदन सी ,
तू माँ की ममता सी कोमल तू चाँद-सूरज सी मर्यादित,
तू चेतना की अभिप्राय, कोटि जीवन तुझ पर आश्रित,
तेरा ही ममता का ऋणी है इस सृष्टि का कतरा-कतरा l
तू पालक है प्राणी मात्र की, हे जीवनदायनी वसुंधरा l
पृथ्वी दिवस पर बहुत सुन्दर रचना ।
बहुत बहुत आभार जी
बहुत सुन्दर रचना
दिल से आभार आपका .
सुन्दर रचना
तह ए दिल से शुक्रिया आपका
मानव जीवन का अस्तित्व इस धरा से ही है। उम्दा लेखन
दिल से आभार आपका
बहुत सुंदर रचना
दिल से आभार
बहुत खूब
तह ए दिल से शुक्रिया जी .