जीवनदायनी वसुंधरा
तू ममतामयी तू जगजननी रहे आँचल तेरा हरा-भरा l तू पालक है प्राणी मात्र की, हे जीवनदायनी वसुंधरा l यह रज जो तेरे दामन की,…
तू ममतामयी तू जगजननी रहे आँचल तेरा हरा-भरा l तू पालक है प्राणी मात्र की, हे जीवनदायनी वसुंधरा l यह रज जो तेरे दामन की,…
हर दौर में अधर्म का प्रारम्भ एक नव-चरण होता रहा l हर एक युग में “हे रावण” तेरा नव-अवतरण होता रहा l हर बार अग्नि…
तेरे असूल थे या फिर वो बदलते दौर थे . मेरे लिए जो और थे गैरों के लिए जो और थे . जिनको उठाने के…
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