जीवन उपहार

जीवन उपहार
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कभी खुरचते कभी लेप लगाते,
कभी शीतल वाणी, कभी आंखों में पानी।

कभी मौन धारक ,कभी गुनगुनाते।
कभी प्यार बर्षा,कभी भुनभुनाते।

कभी गलती करते ,कभी बनते सुधारक।
कभी सुन्न मस्तिष्क, कभी बन जाते विचारक।

कभी बच्चों जैसे कूदकते – फुदकते,
कभी बूढ़ों जैसे इशारे चलाते ।

कभी बातें मिश्री कभी थी कंटीली,
उमर ऐसे बीती, जैसे कोई पहेली।

समय सारणी में छपी रही कुछ बात,
जिन्होंने छेद दिया मन,
दिए जख्म हज़ार।

या छपे रहे उसमें,
कुछ प्यारे से लम्हे
जिन लम्हों ने जीत लिया सारा संसार।

बाकी बीच का तो सब जैसे कोरी स्लेट,
चुभन और प्यार बस यही है जीवन उपहार।

इसलिए प्यार बांटते चलो ,
लोग याद करें आपका प्यार
ना कि तिरस्कार।

निमिषा सिंघल

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