Categories: शेर-ओ-शायरी
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जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
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एक सावन ऐसा भी (कहानी)
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वाह क्या बात है सर, बेहतरीन काव्य रचना हो रही है।
वाह वाह बहुत खूब
वाह वाह बहुत ही सुंदर भाव पूर्ण रचना
लाजवाब✍
कवि सतीश जी की अति भाव पूर्ण रचना है ।बे हिसाब गहराई लिए हुए अति शालीन प्रस्तुति । लेखनी से शानदार साहित्य प्रस्फुटित हुआ है ।