तलाक

तलाक

क्या सच में ही

होता है इतना आसान

चंद तारीखे

कुछ ज़िरहे

दो दस्तखत

खोल दी गिरहे

बस निकल लिए

पकड़ ख़ुद की राहे

हो गए क्या सब हिसाब

बँट गए क्या सब हिस्से

उनका क्या

जो दे भी गए

और ले भी गए

बेशुमार वोह पल

गमो के भी

प्यार के भी

करते भी कैसे

उनका बँटवारा

उनका हिसाब क्यों

किसी कचहरी ने

ना तौला, ना गिना

बस छोड़ दिया

हमको हमारे सहांरे

तुमने तो ज़िकर

भी ना किया उनका

लगा होगा तुमको

के इनका क्या मोल

यह क्या कर दिया आपने

समझाता रहा उमर भर

कभी सौदा ना करना

चूक जाओगे, चूक गए

बेशकीमती हीरे छोड़ दिए

पत्थर भर कर चल दिए

                …… यूई

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