तेरे तस्वीर
तेरे तस्वीर को देखे अरसा हो गया
इस तपते रेगिस्तान मे पानी गिरने पर भी तरसा रह गया
तेरे बिना बारिश की बूदे बेगाना सा लागे है
ठंडी परी शाम मे कम्बल की गर्माहट सी पाने को तरसा है दिल
किस बात की नाराज़गी खुदा जाने
छोटी सी बात मे बात बंद करना क्या ठीक है
बात ही ना हो तोह सुलह कैसे होंगी
अतिसुंदर
धन्यवाद
Nice lines
शुक्रिया
तपते रेगिस्तान मे पानी गिरने पर भी तरसा रह गया
बहुत खूब, सुन्दर पंक्तियाँ,
छोटी सी बात मे बात बंद करना क्या ठीक है में आनुप्रासिक छटा आकर्षित कर रही है।
वाह
आभार आपका
Nice
Thanks
Nice line
धन्यवाद
Dhnyawad
अतिसुंदर
Thanks
सुन्दर