Categories: शेर-ओ-शायरी
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
ऐसा क्यों है
चारो दिशाओं में छाया इतना कुहा सा क्यों है यहाँ जर्रे जर्रे में बिखरा इतना धुआँ सा क्यों है शहर के चप्पे चप्पे पर तैनात…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
क्या हुआ है शहर को आख़िर
आप सब की नज़र को आख़िर , क्या हुआ है शहर को आख़िर . नफरतों की लिए चिंगारी , लोग दौड़े कहर को आख़िर .…
जलता रहेगा रावण यूं ही आखिर कब तक?
देखते है सभी जलते रावण को आग की विषम लपटो कों जिनमें फ़टाकों के चिन्गारियों के बीच बेचारा रावण जल रहा है खाक हो…
👌👌
Good
Nice
वाह
Nice
Nyc