Categories: मुक्तक
Related Articles
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
जीवन कि कड़वी पुड़िया
जीवन की कडवी पुडिया जीवन की कडवी पुडिया सुबह शाम हथेली पर रूखे – रूखे मन से कडवी पुडिया खुलती है । कभी दुध के…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
दुर्योधन भले हीं खलनायक था ,पर कमजोर नहीं । श्रीकृष्ण का रौद्र रूप देखने के बाद भी उनसे भिड़ने से नहीं कतराता । तो जरूरत…
मिस्टर लेट लतीफ
हरेक ऑफिस में कुछ सहकर्मी मिल हीं जाएंगे जो समय पर आ नहीं सकते। इन्हें आप चाहे लाख समझाईये पर इनके पास कोई ना कोई बहाना…
लॉक डाउन २.०
लॉक डाउन २.० चौदह अप्रैल दो हज़ार बीस, माननीय प्रधान मंत्री जी की स्पीच । देश के नाम संबोधन, पहुंचा हर जन तक । कई…
Wah wah
धन्यवाद भाई साहब
शायद आपको भाव समझ में आ गया होगा।
बहुत बहुत हार्दिक आभार 🙏
पंक्तियों का भाव –>समाज में दो तरह का व्यवहार करने वाले मनुष्य है ,
एक तो बिना किसी भेदभाव के सच बोलने वाले लोग होते हैं और दूसरे झूठ बोलने वाले एवं चापलूसी करने लोग होते हैं।
आजकल सच बोलने वाले को कड़वी दवा की तरह ,कम और चिकनी चुपड़ी बातें करने वाले को मीठी दवा की तरह ज्यादा पसंद किया जाता है मगर मेरे अनुसार सच्चा इंसान नीम की तरह कड़वा मगर रोगमुक्त सा, स्वार्थमुक्त होता है।
उम्मीद है भाव पसंद आएगा आप सभी को 🙏🙏
बहुत अच्छा
सादर धन्यवाद सर
Wah wah
बहुत बहुत आभार सर
बहुत सुंदर भाव मोहन जी। बहुत गहराई है आपकी कविता में।
समीक्षा के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद मैडम जी
आप लोगों का ही प्रेम है जो लिखने का हौसला बढ़ता है
सही कहा।
बहुत बहुत धन्यवाद