नए युग की सीता
तू खुद सक्षम बन ,
ए ! नारी शक्ति!
जमाना खुद बदल जाएगा,
बैठा है हर ज़हन में रावण,
राम कब तक तुझे बचाएगा,
तू सीता बन नए युग की,
रावण खुद मर जाएगा,
ना होगी फिर से अग्नि परीक्षा,
ना आंचल पर दाग लग पाएगा,
जरा निकल तो बाहर,
हीनभाव से
जमाना शीश झुकाएगा।
Wow kya likha h!!👏👏👏👏
Thank you
💯 प्रतिशत सही कहा आपने।
Thank you sir
❤️ 👌
Thank you Anil ji
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति
सच में आज इसी सीता की आवश्यकता है
बहुत बहुत आभार सुमन जी
अतिसुंदर
धन्यवाद सर
काबिले तारीफ रचना
आज सच में नारी को जागरूक हो जाना चाहिए उन्हें अपने आप को हीन भावनाओं से मुक्ति पाकर हर क्षेत्र में सक्षम बनना चाहिए
बहुत ही सुंदर विचार
मेरी कविताओं की निष्पक्ष भाव से समीक्षा करने के लिए बहुत-बहुत आभार, धन्यवाद सर
अतिसुंदर
Thank you
Nice
Thank you so much
Strong message
Thank you sir
अद्भुत। वीर रस का प्रयोग आपको शोभा देता है।
हार्दिक धन्यवाद