नवाचार
मन में उल्लास
धधकता रहे अंगार की तरह
हार के बाद भी जीत जाने की संभावना बनी रहे
बीपत्तियों का सामना करे
पहाड़ की तरह
उम्मीद के दीपक जलाकर
अंधेरे में चले
अपनो के विश्वाश पात्र बने हम
लालच, भय, को जीत कर
उपकार करे हम
दे दे सब कुछ देश और समाज को
प्रकृति की तरह
मीठी वाणी बोलकर दिल जीत ले
शांति के लिए
नवाचार करे हम
वाह बहुत खूब
उम्मीद के दीपक जला कर अंधेरे में चलें,
बहुत खूब
आपकी लेखनी भाव का मंथन करती रहती है