नव प्रभात है

नव प्रभात है बीती निशा
उठ कर करो पूर्ण अपनी आशा,
स्वप्न करने को पूरे,
आया है दिवस सुनहरा l
रात भर जो देखे स्वप्न,
आओ पूरे करते हैं l
उठा तूलिका परिश्रम की,
उल्लास के रंग से,
अपना जीवन रंगते हैं॥
_______✍ गीता

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Responses

  1. नव प्रभात है बीती निशा
    उठ कर करो पूर्ण अपनी आशा,
    स्वप्न करने को पूरे,
    आया है दिवस सुनहरा l
    रात भर जो देखे स्वप्न,
    आओ पूरे करते हैं l
    उठा तूलिका परिश्रम की,
    उल्लास के रंग से,
    अपना जीवन रंगते हैं॥

    जागती आँखों से देखे गए स्वप्नों को सच करने और नये उल्लास के साथ अपने दिन की शुरुआत करने की प्रेरणा प्रदान करती
    गीता जी की रचना

  2. कवि गीता जी द्वारा रचित यह कविता महज कविता नहीं है, बल्कि नव आशा से जुड़ी आत्मीय कविता है। नवप्रभात को प्रकृति की प्राणमयता में रचती यह कविता पाठक के अंतस में रच रच जाने में सक्षम है। बहुत सुंदर प्रस्तुति

  3. इस उत्साहवर्धक और प्रेरक समीक्षा हेतु आपका बहुत-बहुत धन्यवाद सतीश जी

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