Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Related Articles
करो परिश्रम ——
करो परिश्रम कठिनाई से, जब तक पास तुम्हारे तन है । लहरों से तुम हार मत मानो, ये बात सीखो त जब मँक्षियारा नाव चलाता,…
प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…
प्यार अंधा होता है (Love Is Blind)( Last Part)
दूसरी ओर आरती और गीता दोनो को एक-दूसरे के साथ वक़्त बिताना बहुत ही ज्यादा अच्छा लगने लगा था। जिस दिन गीता आपने ऑफिस जाती…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
करो परिश्रम कठिनाई से
करो परिश्रम कठिनाई से, तुम जब तक पास तुम्हारे तन है । लहरों से तुम हार मत मानो, ये बात सीखो तुम मँक्षियारा से ।…
नव प्रभात है बीती निशा
उठ कर करो पूर्ण अपनी आशा,
स्वप्न करने को पूरे,
आया है दिवस सुनहरा l
रात भर जो देखे स्वप्न,
आओ पूरे करते हैं l
उठा तूलिका परिश्रम की,
उल्लास के रंग से,
अपना जीवन रंगते हैं॥
जागती आँखों से देखे गए स्वप्नों को सच करने और नये उल्लास के साथ अपने दिन की शुरुआत करने की प्रेरणा प्रदान करती
गीता जी की रचना
बहुत-बहुत धन्यवाद प्रज्ञा जी
अतिसुंदर रचना
बहुत-बहुत धन्यवाद भाई जी🙏
कवि गीता जी द्वारा रचित यह कविता महज कविता नहीं है, बल्कि नव आशा से जुड़ी आत्मीय कविता है। नवप्रभात को प्रकृति की प्राणमयता में रचती यह कविता पाठक के अंतस में रच रच जाने में सक्षम है। बहुत सुंदर प्रस्तुति
इस उत्साहवर्धक और प्रेरक समीक्षा हेतु आपका बहुत-बहुत धन्यवाद सतीश जी
Great poem
Thank you Vikash ji Jai Shree Ram 🙏