Categories: शेर-ओ-शायरी
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इंसान कहाँ मानते हो तुम
नहीं सोंचा था हमनें इतना बैर मानते हो तुम हम छिड़कते हैं जान तुम पर और मुझे गैर मानते हो तुम दूरियों से प्यार बढ़ता…
चश्मे
एक के ऊपर एक परत-दर-परत चढ़े होते हैं, आँखों पर तरह-तरह के चश्मे। पर, न तो नाक पर उनके वजन का अहसास होता है; न…
फकीर
ज़माने के आईने में चेहरे सभी अजीब दिखते हैं, सच से विलग मानों जैसे सभी बेतरतीब दिखते हैं, जब भी खुद को खुद ही में…
स्वतन्त्रता-दिवस
पन्द्रह अगस्त की बेला पर रवि का दरवाजा खुलता है, सब ऊपर से मुस्काते हैं पर अंदर से दिल जलता है जब सूखे नयन-समन्दर में…
ऐसा कोई
जो मेरी आज़माइश नहीं, मेरी ख्वाइश पूरी करें, ऐसे किसी की चाहत है मुझे। जो मेरा साथ नहीं, बस मेरा थोड़ा वक्त मांगे, ऐसे किसी…
सुंदर
धन्यवाद सर
बहुत ख़ूब
धन्यवाद गीता जी
सुन्दर
धन्यवाद जी
खूबसूरत
धन्यवाद जी
सुन्दर पंक्तियां
धन्यवाद
nice line
Thank you
बहुत बढ़िया
धन्यवाद