Categories: मुक्तक
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
पहला नमन
“*पहला नमन “* *—***—** हर सुवह का पहला नमन आपको अर्पण करें। मनमीत मेरे आप खुश हों खुशियाँ पदार्पण करें । जानकी प्रसाद विवश मेरे…
*कर्म*
कर्म ही जीवन का सार, कर्म ही प्राणों का आधार कर्म करते हुए हो इच्छा, सौ वर्ष तक जीने की कर्म नहीं तो इस दुनियां…
जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)
वर्ष सैकड़ों बीत गये, आज़ादी हमको मिली नहीं लाखों शहीद कुर्बान हुए, आज़ादी हमको मिली नहीं भारत जननी स्वर्ण भूमि पर, बर्बर अत्याचार हुये माता…
कर्म कर तू कर्म कर
कर्म कर तू कर्म कर कर्म पथ से ना तू भटक दिशाएं भले विपरीत हों बोये पथ में शूल हों ना तू डर और ना…
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