नारी शक्ति

मैं पुत्र उस नारी की जिनकी आंखों में पीड़ा देखी ,
उजागर करता हूं उन पीड़ा का……….।
जनमानस से भरा जिसने धरती को ,
घर के कोनों में मजबूर हुई जीने को।
दुर्गा, काली के रूप में पूजा जिनको  ,
शर्मसार किया उनको ।
सृष्टि की उत्पत्ति का प्रारंभिक बीज है वो ,
फिर भी गोद में कुचला उनको।
नए – नए रिश्ते को बनाने वाली रीत है वो,
हमने हर रिश्तो में नीचा दिखाया उनको।
उसने हममें कोई फर्क नहीं किया ,
हमने सामाजिक जंजीर दिया।
उसने हमको नौ महीने गोद में रखा ,
हममें से कोई उनका चीरहरण किया।
कांटो में स्वयं चली, हमें फूलों की सेज दिया।
हमने उन पर षड्यंत्र रचा,
आखिर कैसी रीत है ये l
सच में क्या नारी अबला है?
ऐसी भूल ना कर, ये तो स्नेह है उनका ।
कहीं धैर्य खत्म ना हो जाए,
फिर से काली, दुर्गा ना बन जाए l
बदल लो अपनी नजरिये को l
बदल लो अपनी नजरिये को ll                    
                         
                                            राजीव महली

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

  1. वात्सल्य रस से परिपूर्ण मां के लिए बेटे का प्रेम बहुत ही सराहनीय है

+

New Report

Close