नेकी के वस्त्रों से

ऊपर वाला
बिना वस्त्रों के भेजता है,
जन्म के वक्त निःवस्त्र
भेजता है।
ताकि आप ढक सको
नेकी के वस्त्रों से
अपना तन,
प्रेम से आच्छादित कर सको
अपना मन।
नेकी जरूरी है,
नेकी से ही
सार्थक होता है जीवन।
नेकी करने को
आपके सामने है
विस्तृत भूमि
और खुला आसमान,
मानो खुद को
धरती पर
केवल एक मेहमान
नेकी करो
और अपना बना लो
धरती और आसमान।

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Responses

  1. मानो खुद को
    धरती पर
    केवल एक मेहमान
    नेकी करो
    और अपना बना लो
    धरती और आसमान।
    _____________ कवि सतीश जी ने जीवन के शाश्वत सत्य का अपनी इस कविता के द्वारा बहुत ही खूबसूरती से वर्णन किया है धरती पर मनुष्य कुछ समय के लिए ही आता है सभी को जाना है इस दौरान उसे नेकी करके सबके दिल में अपनी जगह को बनाना है, शानदार अभिव्यक्ति एवं अति उत्तम लेखन

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