पहचान लेंगे

किंकणी न बाँधिये
पैरों में अपने,
बिना खन-खनाहट के
पहचान लेंगे।
कभी आजमा के
देख लीजियेगा,
तुन्हें बन्द आंखों से
पहचान लेंगे।

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Responses

  1. बहुत ही खूबसूरती से अभिव्यक्ति किया है भावों को।
    कम शब्दों में मन के भाव बयां करना कोई आपकी कलम से सीखे।
    ……. सैल्यूट।

    1. इतनी सुन्दर समीक्षा हेतु आपका आभार व्यक्त करता हूँ। आपके द्वारा किया जा रहा उत्साहवर्धन बल प्रदान करता है। बहुत सारा धन्यवाद

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