पानी में भी रंग है

पानी में भी रंग है, बेरंगा मत देख,
ज्योति जगा ले नयन में, अंधियारा मत देख,
अंधियारा मत देख, रोशनी खोज डाल अब,
रंग खोज ले और अहमिका छोड़ डाल अब।
कहे लेखनी देख, और कर ले नादानी,
होली में मत फेर , इस तरह पानी-पानी।

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जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

  1. पानी में भी रंग है, बेरंगा मत देख,
    ज्योति जगा ले नयन में, अंधियारा मत देख,
    _________ कवि सतीश जी की बेहतरीन रचना लाजवाब अभिव्यक्ति और, उम्दा लेखन

  2. ज्योति जगा ले नयन में, अंधियारा मत देख,
    अंधियारा मत देख, रोशनी खोज डाल अब,

    Jay ram jee ki

  3. पानी में भी रंग है, बेरंगा मत देख,
    ज्योति जगा ले नयन में, अंधियारा मत देख,
    अंधियारा मत देख, रोशनी खोज डाल अब,
    रंग खोज ले और अहमिका छोड़ डाल अब।
    कहे लेखनी देख, और कर ले नादानी,
    होली में मत फेर , इस तरह पानी-पानी।

    वाह क्या बात है पानी में भी रंग है बेरंगा ना देख बहुत ही सुंदर पंक्तियां

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