Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
भटके हुए रंगों की होली
आज होली जल रही है मानवता के ढेर में। जनमानस भी भड़क रहा नासमझी के फेर में, हरे लाल पीले की अनजानी सी दौड़ है।…
आज अवध में होली है और , मैं अशोका बन में
आज अवध में होली है और, मैं अशोका बन में। रंग दो मोहे राजा राम , मैं बसी हूँ कन कन में।। आँखे रोकर पत्थर…
सुनते आए हैं…..
सुनते आए हैं – अपनों का पर्व है होली मेरे आंगन जली होलिका मैं ही पंडित, मैं ही पूजा मैं ही कुंकुम, अक्षत औ” रॊली;…
वाह सर वाह
अतीव सुन्दर
बहुत खूब
बहुत सुंदर
बहुत सुंदर पंक्तियां
अतिसुंदर भाव
पानी में भी रंग है, बेरंगा मत देख,
ज्योति जगा ले नयन में, अंधियारा मत देख,
_________ कवि सतीश जी की बेहतरीन रचना लाजवाब अभिव्यक्ति और, उम्दा लेखन
ज्योति जगा ले नयन में, अंधियारा मत देख,
अंधियारा मत देख, रोशनी खोज डाल अब,
Jay ram jee ki
पानी में भी रंग है, बेरंगा मत देख,
ज्योति जगा ले नयन में, अंधियारा मत देख,
अंधियारा मत देख, रोशनी खोज डाल अब,
रंग खोज ले और अहमिका छोड़ डाल अब।
कहे लेखनी देख, और कर ले नादानी,
होली में मत फेर , इस तरह पानी-पानी।
वाह क्या बात है पानी में भी रंग है बेरंगा ना देख बहुत ही सुंदर पंक्तियां