पापा

तब आप कितने
सुन्दर थे पापा
देख पुरानी फोटो,
देखता रह गया मैं।
फौजी वर्दी
चमकता चेहरा,
फौलादी बाजू,
सीधे लंबे से,
जाने कब की है
यह फ़ोटो,
मुझे याद है
आपकी कर्मठता की
ठंडी चोटियों में
देश सेवा करते करते
दो वर्ष तक घर
न आ पाने की
मगर मनी आर्डर के
ठीक समय पर आने की।
उससे राशन खरीदने
स्कूल की फीस देने की।
पारिवारिक जिम्मेदारियों को
निभाने के लिए
जान लगा देने की
आपकी कर्मठता की
पूरी याद है।
धीरे धीरे आप वृद्ध होते गए।
मुझे फिर याद है।
आपके माथे पर
पड़ी अनुभवों की
झुर्रियां की,
रक्तचाप से परेशान
बार-बार सिर पर हाथ लगाते,
हँसमुख इंसान की।
तमाम तरह की
जीवन की दुश्वारियां
झेल चुके वृद्ध शरीर की।
मुझे तो याद है हम
सभी से स्नेह रखने वाले
हम सभी की
इच्छा पूरी करने वाले
एक देवता की।
कुछ कुछ याद है
मुझे थपकी दे सुलाने वाली
आपकी लोरी की गेयता की।
फिर याद है
आपके द्वारा ली गई
अंतिम साँसों की।
रह गई यादों की
जो अब साथ हैं।

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Responses

  1. ठंडी चोटियों में
    देश सेवा करते करते
    दो वर्ष तक घर
    न आ पाने की
    मगर मनी आर्डर के
    ठीक समय पर आने की।
    ____________ संपूर्ण कविता बहुत ही भावुक कर देने वाली है, पिता के प्रति प्रेम भाव प्रदर्शित करते हुए, और उनकी पहचान एक कर्मठ फौजी और एक जिम्मेदार पिता के रूप बताते हुए, आपकी बहुत ही श्रेष्ठ और उच्च स्तरीय रचना

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