प्रकृति का सिंगार
देखो रितुराज ने अपने हाथों
कैसे प्रकृति का सिंगार किया।
रंग बिरंगे फूलों से
कुदरत का रूप सँवार दिया।।
हार गले में गेन्दा के
और कर कंगन कचनार दिया।
बेली चमेली जूही के
बालों में गजरा सँवार दिया।।
गुल- ए-गुलाब सुंदर -सा
बेणी मूल में गाड़ दिया।
केशर का रंग लबों पे
संग कर्णफूल गुलनार दिया।
कली लवंग नकबेसर
अलसी अंजन दृग धार दिया।।
मोर पंख कोयल का रूप
तन गुदना से छाड़ दिया।
‘विनयचंद ‘ मधुमास मनोहर
मन मन्दिर मह धार लिया।।
Good
Nice
Sunder
Wah👏👏
Wah
वाह बहुत सुंदर रचना