प्रेम की नदिया बहा दो
प्रेम की नदिया बहा दो
द्वेष नफरत छोड़ दो
देश के जन जन में एका
की जगा दो भावना।
दूर फेंको भेदभावों को
सभी को प्यार दो,
नफ़रतों के पोषकों को
त्याग दो, दुत्कार दो।
देश की उन्नति में बाधाएँ
रहेंगी तब तलक,
जाति-धर्मों में बंटी
जनता रहेगी जब तलक।
एक दिन जब एक स्वर में
सब कहेंगे हिन्द की जय
तब नहीं कोई भी ताकत
रोक सकती है विजय।
देश सीमा में दुश्मन
बेवजह ललकारते हैं
एकता आज सब
उनको दिखा दो आईना।
क्या बात है उत्तम विचार
सादर आभार
प्रेम की प्रति उतम संदेश है।
सादर धन्यवाद जी
देश भक्ति की भावना से सजी बहुत सुंदर कविता है
सच है कि जातिवाद की नफरत देश की उन्नति में बाधक है ।
” एक दिन जब एक स्वर में सब कहेंगे हिन्द की जय”।
अति सुंदर प्रस्तुति….
बहुत ही, सुन्दर समीक्षा। उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक धन्यवाद
अतिसुंदर
आभार
Very nice lines
Thank you
बहुत खूब
Thank you
जय हिंद सर
जय हिन्द
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति है
सादर धन्यवाद
बहुत सुंदर पंक्तियां
Thank you