प्रेम की नदिया बहा दो

प्रेम की नदिया बहा दो
द्वेष नफरत छोड़ दो
देश के जन जन में एका
की जगा दो भावना।
दूर फेंको भेदभावों को
सभी को प्यार दो,
नफ़रतों के पोषकों को
त्याग दो, दुत्कार दो।
देश की उन्नति में बाधाएँ
रहेंगी तब तलक,
जाति-धर्मों में बंटी
जनता रहेगी जब तलक।
एक दिन जब एक स्वर में
सब कहेंगे हिन्द की जय
तब नहीं कोई भी ताकत
रोक सकती है विजय।
देश सीमा में दुश्मन
बेवजह ललकारते हैं
एकता आज सब
उनको दिखा दो आईना।

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Responses

  1. देश भक्ति की भावना से सजी बहुत सुंदर कविता है
    सच है कि जातिवाद की नफरत देश की उन्नति में बाधक है ।
    ” एक दिन जब एक स्वर में सब कहेंगे हिन्द की जय”।
    अति सुंदर प्रस्तुति….

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