फैसला किसके हक में ???
सब सो जाते हैं पर मुझे नींद नहीं आती
जितना उसको पाना चाहूँ
उतना ही दूर चली जाती..!
पलकें बंद करती हूँ स्वागत में उसके
मन भी शांत रखती हूँ
सुनती हूँ सदाबहार नगमें उसके लिए
पर नहीं आती फिर भी नींद..
अब उसकी शिकायत करने जा रही हूँ
देखती हूँ कब सुनवाई होती है
और फैसला किसके हक में आता है!!
Very beautiful poem and nice presentation
अति, अतिसुंदर
वाह, लाजवाब