बुजुर्गों का साया
बेशक दौलत बेशुमार नहीं कमाया है।
मगर मेरे सर पर, बुजुर्गों का साया है।
ज़हां की दौलत कम है, मेरे खजाने से,
दुआओं का खजाना, मेरा सरमाया है।
हादसा सर से गुजर गया, मैं बच गया,
लगता है, दुआओं ने असर दिखाया है।
पाँव में काँटा, कभी चुभ नहीं सकता,
पाँव जिसने भी, बुजुर्गों का दबाया है।
जन्नत सुना था, ज़मीं पर ही देख लिया,
कदमों में इनके, जब भी सर झुकाया है।
देवेश साखरे ‘देव’
सरमाया- संपत्ति
खूब लिख है
धन्यवाद
Sahi baat
Thanks
Bilkul sahi kaha
Thanks
वाह बहुत सुन्दर
धन्यवाद
Good
वाह जी वाह