Categories: मुक्तक
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क्यो मैं बुद्ध सी बनूँ….
क्यों ! मैं बुद्ध जैसी बनूँ….. मैं बुद्ध नही हूँ.. जो चल दिये अपना सारा संसार छोड़कर; मैं एक अदना सी नारी कैसे कह दूं…
वो कहते है, हम कहते है………
वो कहते है हमारे निगाह को यूँ देखा न करो हम कहते है के तुम अपनी निगाह से हमें यूँ देखा न करो वो कहते…
सत्यम की राह
सत्य कि राह दिखाते बुध्द, बिछड़ों को मिलाते बुध्द । परेशान आत्मा को गले लगाकर, दुःख दर्द को सारे हर लेते बुध्द।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
जिसके हृदय में पूर्ण राम बसते हैं
संगीत सहित जिसके हृदय में पूर्ण राम बसते हैं उनकी काया विकृतियों से दूर है जिसके हृदय में पूर्ण राम बसते हैं उनकी काया विकृतियों…
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Nyc