Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Tags: संपादक की पसंद
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जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
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खुद के सहारे बनो तुम
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वाह, देश के लोगों को किसी निज कार्य के लिए प्रोत्साहित करती हुई बहुत सुंदर रचना
शुक्रिया बहिन
nice one!
Thanks
बेरोजगारी के तमाम कारणों पर संक्षिप्त प्रकाश डालते हुए, आत्मनिर्भरता की ओर प्रोत्साहित किया गया है। वाक्यांत ‘है’ का प्रयोग अत्यंत सुंदर तरीके से किया गया है। वाह
धन्यवाद श्रीमान् जी का
बेहतरीन
शुक्रिया जी
सही तो कहा है आपने बेकारी की जिम्मेदारी कौन लेता है आज का युग यही है युवा बेरोजगार है फिर भी लोग कहते हैं अच्छे दिन आ गया व्यंग करती हुई सुंदर रचना