बोगेनविलिया
वो
बोगेनविलिया की बेल
रहती थी उपेक्षित,
क्योंकि
थी समूह से दूर,
अलग,
अकेली एक तरफ;
छज्जे के एक कोने में
जब देती थीं
सारी अन्य लताएँ
लाल, पीले, नारंगी फूल,
वो रहती थी मौन,
सिर्फ
एक पतली-सी डंडी
कुछ पत्ते लिए हुए
काँटों के साथ.
आज सुबह से ही
हरसिंगार का पौधा
हर्ष का
मचा रहता था
शोर,
लाल, पीले, नारंगी फूल,
जा चुका था
इनका मौसम.
था
सफ़ेद,
शांत
फूलों का दौर.
तभी तो
हरसिंगार के सफ़ेद फूल
हैं प्रसन्न,
पाकर
अपना नया साथी,
क्योंकि
बोगेनविलिया की
उस उपेक्षित लता पर भी
खिल उठे थे
धवल चांदनी-से
श्वेत फूल.
Copyright@दीपक कुमार श्रीवास्तव “नील पदम् “
Nice
Thank you
धन्यवाद
Good
धन्यवाद
Welcome
सुन्दर चित्रण
प्रोत्साहित करने के लिए धन्यवाद
Nice
धन्यवाद
Good
Thanks