भटके हुए रंगों की होली

आज होली जल रही है मानवता के ढेर में।
जनमानस भी भड़क रहा नासमझी के फेर में,
हरे लाल पीले की अनजानी सी दौड़ है।
देश के प्यारे रंगों में न जाने कैसी होड़ है।।

रंगों में ही भंग मिली है नशा सभी को हो रहा।
हंसी खुशी की होली में अपना अपनों को खो रहा,
नशे नशे के नशे में रंगों का खून हो रहा।
इसी नशे के नशे में भाईपना भी खो रहा।।

रंग, रंग का ही दुश्मन ना जाने कब हो गया।
सबका मालिक ऊपरवाला देख नादानी रो गया,
कैसे बेरंग महफिल में रंगीन होली मनाएंगे।
कैसे सब मिलबांट कर बुराई की होली जलाऐंगे।।

देश के प्यारे रंगों से अपील विनम्र मैं करता हूँ।
धरती के प्यारे रंगों को प्रणाम झुक झुक करता हूँ
अफवाहों, बहकावों से रंगों को ना बदनाम करो,
जिसने बनाई दुनियां रंगों की उसका तुम सम्मान करो।।

हरा, लाल, पीला, केसरिया रंगों की अपनी पहचान है।
इन्द्रधनुषी रंगों सा भारत देश महान है,
मुबारक होली, हैप्पी होली, रंगों का त्यौहार है।
अपनी होली सबकी होली, अपनों का प्यार है।।

हैप्पी होली

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Responses

  1. विभिन्न रंगों के प्रति प्रीत और सम्मान दर्शाती हुई और होली की शुभकामनाएं देती हुई बहुत सुन्दर रचना

  2. हरा, लाल, पीला, केसरिया रंगों की अपनी पहचान है।
    इन्द्रधनुषी रंगों सा भारत देश महान है,
    ———– विभिन्नता में एकता ही भारत की पहचान है। यहां के नागरिक या विभिन्न प्रकार के स्थान आदि को विभिन्न प्रकार के फूलों की संज्ञा देकर सुन्दर कविता प्रस्तुत को गयी है।

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