भारत को स्वच्छ बनाना है

चलो उठो ये प्रण कर लें हम
भारत को स्वच्छ बनाना है,
धरती माँ के आँचल को
हरियाले,फल-फूलों से सजाना है,
प्रदूषण की जहरीली हवा से
पर्यावरण को मुक्त बनाना है,
तन स्वच्छ तो करते सब हैं
मन को स्वच्छ बनाना है।

चलो उठो ये प्रण कर लें हम
भारत को स्वच्छ बनाना है,
इस धरा के कण -कण में
नव जीवन का संचार है,
व्यर्थ नहीं कुछ इस जगत में,
कचरे को भी नयी पहचान दें,
पुनः नया कर उसके भी
अस्तित्व को सम्मानदें।

चलो उठो ये प्रण कर लें हम
भारत को स्वच्छ बनाना है,
वासुदेव कुटुम्बकम के मन्त्र को
सच करके दिखाना है,
मन को दर्पण बना लें
जन -जन को खुद में निहारें,
द्वेष कलह को जड़ से उखाड़े।

चलो उठो ये प्रण कर लें हम
भारत को स्वच्छ बनाना है,
पर्वत नदियाँ झीलों को
निर्मल नैसर्गिक रहने दें,
वन जीवों को धरती माँ के
ममता तले पलने दें,
हम जीवों में श्रेष्ट बनें हैं
श्रेष्टता का परिचय कुछ तो रहनें दें।।

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Responses

  1. Just Awesome..।। बहुत ही बेहतरीन कविता, really great, creative poem, every single line touches readers heart, inspire to keep clean our country.

  2. कविता पढते ही मन में इक नयी उमंग सी दौड़ उठती है…यही इस कविता की विशेषता है…और यही सफ़ल कवि की पहचान

  3. लाजवाब रचना??
    ऐसे ही लोगों को प्रेरित करे,
    हम दोस्तो का साथ हमेशा रहेगा।।

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