भुला दिया उसने..

‘मेरी वफाओं का खुलकर सिला दिया उसने,
न रखा एक भी, हर खत जला दिया उसने..

दूर होने का फैसला क्या खुद तुम्हारा है ?
मैंने पूछा तो कैसे सर हिला दिया उसने..

हमें भी खूब मिली आँसू पोंछने

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जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

    1. बहुत शुक्रिया लेकिन ये अधूरी ही पोस्ट हो गई थी गलती से इसके बाद मैंने उसको पूरा करके पोस्ट किया था बाद में।

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