भूमिपुत्र का सम्मान करें
आज अन्नदाता किसान,
राहों पर है परेशान
देश को अन्न देता जो,
भारत माँ की जो है शान
क्यूं आना पड़ा उसे राहों पर,
ये बात कर रही है हैरान
अपने एक हक़ की खातिर,
लड़नी पड़ी लड़ाई है
आखिर ये हक़ है उसका,
उसकी मेहनत की कमाई है
भूमिपुत्र का सम्मान करें हम,
उसकी आंखें ना होने दें नम
आज आवाज़ आई है देखो,
खेतों से उस हलधर की,
जिसकी मेहनत की रंगत से,
भूख मिटे है हर घर की
*****✍️गीता
किसानों का मुद्दा उठाकर आपने उनके हक की लड़ाई में उनका साथ दिया है
उनकी करुण व्यथा सुनाई है
कविता के भाव को समझ कर उसकी समीक्षा करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद प्रज्ञा जी
वेलकम
अतिसुंदर भाव
बहुत बहुत धन्यवाद भाई जी 🙏
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
बहुत बहुत धन्यवाद सर
आज आवाज़ आई है देखो,
खेतों से उस हलधर की,
जिसकी मेहनत की रंगत से,
भूख मिटे है हर घर की
अन्नदाता किसान की स्थिति का बेहतरीन चित्रण, उम्दा लेखन
इतनी सुन्दर समीक्षा हेतु बहुत बहुत धन्यवाद सतीश जी कविता का विश्लेषण कर के टिप्पणी करने के लिए आपका हार्दिक आभार