Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)
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हम उस देश के वासी है ।।
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वंदेमातरम् गाता हूँ
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बहुत सुंदर भावनाओं से सुसज्जित सुंदर रचना।मजबूत लेखनी की परिचायक।
आपकी इस तरह की प्रेरणादायक पंक्तियाँ सदैव प्रोत्साहित करती हैं, सादर धन्यवाद
Bahut sundar
Thanks जी
अतिसुंदर भाव
उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक धन्यवाद शास्त्री जी
हमारे देश के विकाशपथ के हर कंटक का बहुत ही सटीक चित्रण किया है आपने ।
हमारी प्रगति के सबसे बङे अवरोधक
धन्यवाद जी, निश्चित तौर पर हमारे सामाजिक ताने -बाने में व्याप्त भेद की भावना प्रगति की सबसे बड़ी बाधक है।
अतिसुन्दर भावनाएं
बहुत बहुत धन्यवाद सर जी
बहुत अच्छे
बहुत बहुत धन्यवाद
Well said
Thanks
Very true
Thanks
हे समाज के दर्पण
क्यों सच कहते कहते रुक गए|
डर था किसी का क्या, हे मानवता के राही,
फिर सच लिखने से क्यों रुक गए|
यह बात पुरानी हो गई है
इससे अब कुछ मिलता ना|
क्यों बाड़ छुपा रखा तरकस में,
उठा अब भी कुछ बिगड़ा ना|
✍✍✍✍✍✍✍🙏
बस सच्चाई से एक कदम दूर हैं
बहुत खूबसूरत कविता
आपने इतनी सुंदर पंक्तियाँ कही, मन भावविभोर हो गया, बहुत सारा धन्यवाद ऋषि सर
यह हमारी कविता की पंक्ति है
Welcome